Malgudi Days stories of every one from everywhere!
Malgudi days is a series made by India Doordarshan back in the 1986. The excellent writing style of the famous writer RK Narain and the hard workf actors and directors of the series make this series of short TV plays unique and un-compareable.
Mithaiwalla – Malgudi Days
Translated into Urdu Hindi Tamil Sindhiमिठाईवाला – मालगुडी डेज़
एक बूढ़े आदमी की कहानी, जिसका बेटा अपने पिता की मिठाई की दुकान संभालने से मना कर देता है
मालगुडी नाम के छोटे से शहर में एक बूढ़ा आदमी रहता था, जिसका नाम जगन था। वह अपनी मिठाई की दुकान चलाता था, जहाँ वह खुद लड्डू, जलेबी और मैसूर पाक बनाता था। लोग उसे प्यार से मिठाईवाला कहते थे।
जगन एक सादा जीवन जीने वाला, धार्मिक और गांधीजी के विचारों को मानने वाला व्यक्ति था। वह खादी पहनता था और ईमानदारी से अपनी दुकान चलाता था। उसका सपना था कि उसका बेटा माली एक दिन उसकी दुकान संभाले।
लेकिन माली की सोच अलग थी। वह मिठाई बनाना नहीं चाहता था। उसका सपना था कि वह अमेरिका जाकर लेखक बने। जगन ने दुःख के साथ उसे जाने दिया।
कुछ सालों बाद माली वापस आया, लेकिन वह पूरी तरह बदल चुका था। उसके साथ एक गोरी लड़की भी थी, जिसके साथ वह बिना शादी के रह रहा था। यह बात जगन को बहुत चुभी।
माली ने कहा कि वह दुकान नहीं संभालेगा। वह एक नई फैक्ट्री खोलना चाहता था, जहाँ कहानी लिखने वाली मशीनें बनाई जाएंगी। उसने अपने पिता से पैसे मांगे। जगन को दुख हुआ कि उसका बेटा न तो उसकी मेहनत की कद्र करता था, और न ही उसके जीवन मूल्यों की।
चुपचाप, बिना बहस के, जगन ने सब कुछ छोड़ दिया। दुकान और पैसे माली के लिए छोड़ दिए और खुद एक शांत, अकेली जिंदगी जीने चला गया। उसे सुकून तब मिला जब उसने छोड़ना सीख लिया।
🌿 कहानी से सीख:
- माता-पिता बच्चों के लिए सपने देखते हैं, लेकिन बच्चे अपनी राह खुद चुनते हैं।
- कभी-कभी छोड़ देना ही शांति पाने का रास्ता होता है।
- परंपरा और आधुनिकता को एक-दूसरे को समझने की ज़रूरत है।
- सच्चा प्यार नियंत्रण में नहीं, बल्कि स्वतंत्रता में होता है।